Kanpur medical news: हृदय रोग संस्थान कानपुर में हृदय से संबंधित बीमारियों का उपचार सफलतापूर्वक व किफायती दरों के साथ साथ विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे कि आयुष्मान भारत,दीन दयाल उपाध्याय सरकारी कर्मचारी उपचार योजना व असाध्य रोग नियमावली के अन्तर्गत निःशुल्क किया जा रहा है। जिसके चलते डॉक्टर अवधेश शर्मा व चिकित्सकों की टीम ने एक 65 वर्षीय महिला जिसे कि ब्रेन स्ट्रोक (फालिस) की शिकायत अचानक हो गयी थी। इस महिला की जाँच में लेफ्ट इण्टरनल कैरोटिड आर्टरी 99 प्रतिशत बन्द थी। जिसको कि स्टेंट के माध्यम से हृदय रोग संस्थान की चिकित्सकों की टीम द्वारा ठीक किया गया।
डॉक्टर अवधेश शर्मा ने बताया कि इण्टरनल कैरोटिड आर्टरी ब्रेन को ब्लड सप्लाई करती है। ब्रेन के दायें और बायें हिस्से को ब्लड सप्लाई के लिये बायीं और दायीं इण्टरनल कैरोटिड आर्टरीज होती हैं। कैरोटिड आर्टरी स्टीनोसिस एक ऐसी बीमारी है। जिसमें कि कैरोटिड आर्टरी में थक्का जमने के कारण रुकावट (ब्लॉकेज) आ जाता है। जब इस थक्के का कुछ हिस्सा टूटकर ब्रेन की ब्लड सप्लाई को रोक देता है। तब फ़ालिस अथवा अधरंग की दिक्कत हो जाती है। जिसमें की शरीर का आधा हिस्सा कार्य करना बन्द कर देता है। अगर ब्रेन के बायें हिस्से में रक्त का प्रवाह बंद होता है। तो शरीर का दायाँ हिस्सा कार्य करना बंद कर देता है,और अगर ब्रेन के दायें हिस्से का रक्त प्रवाह बंद होता है तो शरीर का बायाँ हिस्सा कार्य करना बंद कर देता है।
उन्होंने बताया कि कैरोटिड आर्टरी स्टेनोसिस का पता कलर डॉपलर जाँच अथवा ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की कैरोटिड एंजियोग्राफ़ी से चलता है। चूँकि इस ब्लॉकेज को स्टेंट के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। इसलिए प्रत्येक ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को कैरोटिड डॉपलर की जाँच अवश्य करानी चाहिये और अगर डॉपलर में ब्लॉकेज का पता चलता है। तो एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी के द्वारा इसे ठीक करना चाहिये। अन्यथा बार-बार ब्रेन स्ट्रोक की समस्या हो सकती है। कैरोटिड आर्टरी स्टेंटिंग को कार्डियोलॉजिस्ट अथवा इण्टरवेन्शनल न्यूरोलॉजिस्ट के द्वारा किया जाता है।